ढाका। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। मोहम्मद युनूस की सरकार के सत्ता में आने के चार महीने बाद से ही कट्टरपंथी संगठनों के हौसले बुलंद हो गए हैं। शेख हसीना सरकार द्वारा बैन किए गए कई संगठनों ने अब हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ आक्रामक रुख अपना लिया है।
मंदिरों पर लगातार हमले
ढाका और अन्य इलाकों में हिंदू मंदिरों पर हमले तेज हो गए हैं। कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों ने हाल के दिनों में लोकनाथ मंदिर, मनसा माता मंदिर, और हजारी लेन स्थित काली माता मंदिर पर हमले किए। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद इन संगठनों ने दो और मंदिरों – राधा गोविंदा मंदिर और शांतनेश्वरी मंदिर – को निशाना बनाया।
कट्टरपंथियों का बढ़ा प्रभाव
शेख हसीना की सरकार के दौरान जिन कट्टरपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया था, वे अब पहले से अधिक सक्रिय हो गए हैं। हिंदू समुदाय के लोगों का कहना है कि उनकी सुरक्षा को लेकर नई सरकार उदासीन है, जिससे कट्टरपंथी ताकतों का मनोबल बढ़ा है।
अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल
लगातार हो रहे हमलों से हिंदू समुदाय के बीच भय और असुरक्षा का माहौल है। पूजा स्थलों पर हो रहे हमलों ने धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय हिंदू संगठनों ने सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है।
सरकार की चुप्पी पर सवाल:
मोहम्मद युनूस सरकार ने अभी तक इन घटनाओं पर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है। हिंदू संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस पर चिंता व्यक्त की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही आलोचना
इन घटनाओं के बाद बांग्लादेश की नई सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ रहा है। यदि स्थिति पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो बांग्लादेश की छवि अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभावित हो सकती है।
(इनपुट: एजेंसियां)